Monday, 30 January 2017

कृतिकार कवि परिचय

.                  ​【कृतिकार कवि परिचय】​ ​(१.) पितृ परिचय:​ नाम - श्री मोतीसिंह जेठाभाई महेडु गढ़वी उप नाम - मुक्त कवि पिता - श्रध्धेय जेठाभाई हलुभाई महेडु माता - श्रीमती सूरजबा बहेन रणछोड़दानजी नोधु. खडोल. गाम - सामरखा,...
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Sunday, 29 January 2017

गरबो आई सोहागी माँ

.                            ।। गरबो ।। .                    आई श्री सोहागी आई ------------------------------------------------ आई तमे सतनी मुडी साथ,                          ...
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चरज आई सोहागी माँ की

.                         ।। चरज ।। .                   आई श्री सोहागी आई       गाम- सोहागी, जीलो- बाड़मेर, राजस्थान, ----------------------------------------------------------------- राग-...
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आई श्री सोहागी आई दोहा

.                           ​दोहा​ .              ​आई श्री सोहागी आई​    ​गांव- सोहागी, जीलो- बाड़मेर (राजस्थान)​ ----------------------------------------------------------- अख़िल विश्वमां आपनी,...
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Saturday, 28 January 2017

आई श्री सुहागी आई नो इतिहास

.       आई श्री सुहागी आई नो इतिहास    गाम- सुहागी, जीलो- बाड़मेर, राजस्थान. विक्रम सवंत १५८० मां सोहागी गांम गंगाजी सोढा द्वारा महेडु शाखाना चारण भादाजी मेहडु ने बक्षीस करेल हतु, सुहागीनु अगाउनु असली नाम मेहडुवास हतु, भादाजी महेडु ना सुपत्री सुहागीबाईनु लग्न मैइया शाखाना चारण साथै थयेल हतु, सुहागीबाई ना पुत्र माडणजी मैइया हता, माडणजी नी पासे सोढा राजपूते घोडा...
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Wednesday, 25 January 2017

कवि लूणपालजी (लूणकरणजी महेडु)

.     *कवि लूणपालजी (लूणकरणजी महेडु)-* ये मेहडु शाखा के चारण कवि थे। ये गुजरात स्थित मारवी गोद के निवासी थे। यह गांव इन्हें झाला राजपूतों से प्राप्त हुआ था जो हळवद के पास है। लूणकरण मेहड़ू मेवाड़ के महाराणा मोकल के समकालीन थे। राजस्थान के ब्रह्मणों ने राणा मोकल को चारण जाति के विरोध बहका रखा था की यह जाती देवी आवङ को भेसे की बली  चढ़ाने ने एवं उसका रक्त चखने के कारण अछूत है। अतः...
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Monday, 23 January 2017

कविस्वर लुणपालजी के ढोलामारु रे दो

कविस्वर लुणपालजी के ढोलामारु रे दोहे ( सुफी- उन कामलीवाले, Magu, Sophia - दाशॅनीक , षटवणॅ ) आध्यात्मिक रस रंग अथॅ जीस में ढोला यानी परमात्मा ओर मारुं यानी पृकुती - चित इच्छा शकित एेसा दिव्य अनुभूति के रंग  महात्मा संत कबीर की कबीरवाणी में भी फकत ऐक शब्द का परिवर्तित भक्तिपरक साखीआ मील रही है . ये सुफी आख्यान की आगवी यादी  दे रहे है   अंबरी कुंजा करलीयां, गरजी भरी सब ताल:   ...
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Friday, 20 January 2017

पेढ़ीनामा साता (मुळ गाम-राठी, पारकर, पाक) महेडु परिवार

*पेढ़ीनामा साता (मुळ गाम-राठी, पारकर, पाक) महेडु परिवार⤵*                      *करशनजी*                             ⬇                       ...
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