Monday 25 September 2017

चरण मोहि राखो चालकनेज,

कुल देवी श्री चाळराय के श्री चरणों में
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

चरण मोहि राखो चालकनेज,
शरण तव छोरु जी हमेश।। टेर।।
विविध वृद ज्यूंही मो धारो,
चरण रो दीज्यो माँ सहारो।
कुपात्र जाण कर काँई,
मात न पूत मन मारयो।
उबारो आप रो जन देख,
चरण मोहि राखो चालकनेज      ।।१।।
मति गति तू ही महामाई,
सकल संसार सकलाई।
विपत में याद तू आई,
बुद्धि दी पहले भरमाई।
दाता आप दो मो देश,
चरण मोहि राखो चालकनेज
।।२।।
ध्यान दो ग्यान दो धाता,
विमल जस की तू उपजाता।
सकल संसार की सरनी,
त्रिविध जग ताप की तरनी।
करम गति रेख को ना देख,
चरण मोहि राखो चालकनेज।।३।।
भणे "देव" ज्ञान भिखारी,
जता सह सिक्षा जगवारी।
महड़ू कुल की महतारी,
चरण थिर आ पड्यो थारी।
जनम के दोस को ना देख,
चरण मोहि राखो चालकनेज।। ४।।

रचित
देवराज सिंह जाड़ावत
ठिकरिया कविराय
बूंदी

Share:

माँ महामाया करणी जी महाराज की आरती श्री चरणों में

माँ महामाया करणी जी महाराज की आरती श्री चरणों में
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*राग /तर्ज आरती कुन्ज बिहारी की* हरी ओम शरण album प्रेमांजली पुष्पांजलि

आरती मेह दुलारी की, जयति सज्जन भय हारी की।। टेर।।

जयति जय धन जंगल धरणी,
चरित किये अमिट जहाँ करणी।
तारणी ताप हारणी श्राप,
जयति जय जय अघ हरणी की।।१।।
आरती मेह दुलारी की.....
मात तुम ज्ञानवंत गीता,
निमिष में अखिल विश्व जीता।
क्रूर किये दूर भक्त भरपूर,
जयति जय जय श्रुति बरणी।।२।।
आरती मेह दुलारी की.......
मात तुम गोधन हितकारी,
अमिय जन लीला विस्तारी।
अधम खल मेट स्वजन हित हेत,
जयति जय लोवड वरणी की।।३।।
आरती मेह दुलारी की.....
मात तुम मलेच्छन कीने दूर,
राष्ट्रकुल थरपे धरणी पुर।
विमल जस जोर फिरी चहुं और,
जयति जय करुणा करणी की।।४।।
आरती मेह दुलारी की......
मात तुम सेवक हित धाईं,
पूर्ण की सबकी मन चाईं।
बणिक की बेर शेख की टेर,
जयति जय संभल वरणी की।।५।।
आरती मेह दुलारी की......
मात तुम चारण कुळ तरणी,
धरणी जन *देव* सदा बरणी।
दया की धाम माँ पूरण काम,
जयति हिय पावन करणी की।।६।।
आरती मेह दुलारी की.......
🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹

रचित
ठा. सा. देवराज सिंह जाड़ावत
ठिकरिया कविराय
जिला बूंदी (राज.)

Share:

Thursday 14 September 2017

ओखा - हरण लागीदासजी मेहडू

करि समरणां धांनकरि । करणा करणज कोअे।
हेकणवार मरण होअे । फरि अवतरणा नोअे ।।

कोई तो ए दया करवाळा नु ध्यान करो. अेथी  अेक ज वार मुत्यु थशे, ते पंछी जन्मवानुं नहीं होय

परम न गावे पेृमसे । जे जे अधरम जंत ।
भरमी भुला भोगवी । अकरम करम अंनत

जे जे अधर्मी जीवोअे स्नेहपुवॅक परमेश्वर ने गाया नथी भृम थी भुलेला तेओ पोताना अपार पापकमोॅ ने भोगवशे.

राम तजे अन देवरी । कीजी सेव न कोअे ।
जे अवतारी जगतमां । सरि उधारि सोअे ।।

राम ने तजी अन्य देवनी सेवा कोइ करशो नही, केम के जे ( राम) जगतमां अवतार लेनारा छे ते ज अंते आपणने उध्धारशे.

सरम करताथीं सरम । के अकरम करंम ।
थां गाडुं दीठा थकां । पग थाका अपरंम ।।

आज लजवंता पण मने लाज आवी छे, मारां केटलाय पापी कामनां कमोॅ छे , पण हे परमेस्वर , तारु गाडुं जोयाथी हवे मारा पगो थाकी गया छे .

पग साजे अपरमपर । जगविह आवि जोअे ।
लष चुरासी लांगडि । आवागमण न होअे ।।

जगत वच्चे आवी ने जोतां परमेस्वर नां चरणों रूप साधन वडे ओ लागींदास ! चौरासी लाख योनीओमां पुनः आवागमन थवानुं नथी रहेतुं .

नज चुमु फरिउ नही । भागल पगे भगत ।
देअल फरिआ भगत दस । अे अवगति वगति ।।

भक्त अेवो चुमोजी चारण के जेना पगों भागीं गया हता, ते पोते देवल नी दीशामां फयोॅ नहीं , पण देवल ज भगतनी दिशामां फयुॅ . आ पृभु नि पिछाण छे.

चुमु गोदड ईसर चवि । नरसी तंमरनाद ।
नामिं तरिआ नांमदे । पिृषत धृु पिृहलाद ।।

चुमो ,गोदडजी , इसरदास कहीअे, वळी तंबुरानो नाद गजवता नरसिंह महेता; परिक्षीत,धुृव , पृहलाद अने नामदेव जेवा भकतो पृभु नाम वडे तरी गया .

सरता दाता पाल सत। कडतल रूप करन ।
हर भगति वजपालहर । वरतावन षट वृन ।।
ओखा - हरण
लागींदास महेडु ( गोलासण)
टंकन- विजयदान महेडु

Share:

Friday 8 September 2017

उपरोक्त दूहो फेसबुक माथे पोस्ट कियां बाद सुहागी रा शक्तिदानजी मेहड़ू अर मीठा मीर डभाल रे बीच में हुई वार्तालाप

भालाळे पाबू भलां , कमध निभायो कौल ।
ओ मिनखो अनमोल , शूर कही आ शामळा ।।
मीठा मीर डभाल
उपरोक्त दूहो फेसबुक माथे पोस्ट कियां बाद सुहागी रा शक्तिदानजी मेहड़ू अर मीठा मीर डभाल रे बीच में हुई वार्तालाप

मीठा मीठै मीर, गुण पाबू रा गावेया!
भालाळो ले भीर, अबखी मैं आवै अवश?

कमधज पाबू जो कही ,  सो पाळी सिरदार ।
आप होय असवार , सरगां पूग्यो शामळा ।।
मीठा मीर डभाल

वेदू रा पाळै वचन, (ऐ) रजपूतां री रीत!
देवल सगती ने दिया, पाबू कौल स प्रीत?

अटल नेम राखण इसा , हुवे न भूप हमेश ।
जनमे पाबू जेहड़ा , नामी कोय नरेश ।।
मीठा मीर डभाल

कमधज वेदू कारणे , कियो शीश कुरबान ।
भूल्यो कौल न भूपती , जिका सत्य कर जान ।।
मीठा मीर डभाल

कवियों रे वचनां कजू ,साको किय समराथ!
पाबू रचायो प्रथी पै, भालै सू भाराथ?

देवल जो नह देवती , पाबू हाथ पमंग ।
अमर न होत कमध उत्त , सेंधव रे कज शामळा ।।
मीठा मीर

झगड़ां मैं के झूझया, जकां नही जग जांण!
पाल लड्यो कज पांथूआं, प्रसिद्ध दुनि परमांण?

पी दारु परवारयां , करतों रहे कंकास ।।
उणरो जस इतिहास , संग्रहे नांहि शामळा ।।
मीठा मीर डभाल

ढळे पड़ै के ढोलियै ,सड़तां मरै शरीर!
वेदू कज इक वीर, पाबू नै पूजै प्रथी?

दमा रोग हुय देह में , मांदों होय मरन्त ।
कोय न याद करंत  ,शूर दान बिन शामळा ।।
मीठा मीर डभाल

वोट तणो आयो वखत, ताकत रो नह तोल!
दमा खांसी दारूडीया, मळै न मांघै मोल?

वोटां राज विगाडयो , लोक हुआ लाचार ।
मेहनत बिना धन मिळे ,ऐह सब रहे उच्चार ।।
मीठा मीर डभाल

अबळा सो सबळा अबै, नबळा हुआ नरां!
पड़्या रहै पिछवाड़ मैं, कितरो सोच करां?

आगे नह अबळा हती , सबळा हती सदाय ।
भवानी असुर  भरखती  , आप सगत झट आय ।।
मीठा मीर डभाल

सबळा होवण सगत रो, कदियक पड़तो कांम!
वसुन्धरा रै वखत मैं, हालत करी हरांम?

माया खातिर मुलक में , नरां छोड़यो नेम ।
हाकम जद औरत हुवे , कुशळ आवसी केम ?
मीठा मीर डभाल

जीन्स पैन्ट पैरै जबर, ऊघाड़ी अरधंग?
वंश विगाड़ण वनीयता, रंग हो रांणी रंग?

मरजादा रख मेहळा , नरां न ताकत नार ।
हीण नजर दुनिया हुवे,  (तो) वधे जद व्यभिचार ।
मीठा मीर.डभाल

भलकारा भूरी भणै, जाटां तणी जमात!
रजपूतौ रै राज में, कैम रहै कुशळात?

राज न हाथों राजनां , अब जूठी सब ऐह ।
तेगां ठौड़ ज ताळियां ,
तुरत बजावे तेह ।।
मीठा मीर डभाल

Share: