Tuesday 8 August 2017

खरो परचो खोडली चारण कवि श्री कानदास महेडु

🌱🌱🌱🙏🌱🌱🌱

      खरो परचो खोडली

चारण कवि श्री कानदास महेडु

तेमणे भूज नी व्रज भाषा नी पाठशाळा मां अभ्यास कर्यो हतो

कवि नु जन्म इ स 1757
मृत्यु इ स 1859

टाइप हरि गढवी
गाम ववार
ता मुंन्द्रा    कच्छ
मो  96380 41145

                    दुहो

पसा उक्त दे गणपति सधबध नाअक साम
आद शक्त गण उचारुं प्रथम करुं प्रणाम

मामडिया मादा तणी चडतुं रखण चकार
मेखासुर हणवा मैया तें सज कीधो शणगार

                     छंद

ते शणगार धवा, किउ सजवा, दूत भजवा डारंणं
डहकिया छाकं, रुंड डाकं, विरहाकं वारणां
फेट मां अरचो, करण परचो, मीयण चोपड धलमली
शरमोड शरचो, अळां अरचो, खरो परचो खोडली

तण वखत झोळा, मळे टोळा, नवेलख सोळा नुधि
मळे रुद्राणी, ब्रह्माणी, व्रशनाणी थे वृद्धि
कोयलावाळी, महाकाळी, खपराळी तां खळी
      सरमोड सरचो,,,,,,

भडइउ साखर, भणंक भाखर, खमंड पाखर खेतलो
धूमती ढेली, रमत धेली, बांआं बेली ब्रझलु
आदि अनादि, जोरे जादी, चंडीका मादी चली
       सरमोड सरचो,,,,,,,,

धुधरुं धमके, चूड चमके, चलत ठमंके, चंडिका
हींडळे सारे, कंठहारं, मुक्तसारं मंडिका
झालरुं झळके, वेण वळके, बेहद भळके बंदली
       सरमोड सरचो,,,,,,

रमझोळ रममं, ठोर ठमंमं, धोर धममं, गाजिअं
सोहे सकोमळ, अंग उजळ, रेख काजळ व्राजीअं
भाल सिदूरं, भरपूरं अरक, नूर ओडली
            सरमोड सरचा,,,,,,

वधपना वळळ जोतझळळळ, भजे भळळळ भेळियो
सुधा समोहं अंग सोहम् बोह डोहंब कियो
झुलरां खोडी, रम जोडी, छप्पन कोडी सरछली
          सरमोड सरचो,,,,,,,,

त्रसूळ त्रछट, अरि अछट, प्रथी पटे पाडे दिउ
दोह वाट अडडड, रगत दडडड, मरड मेखो मारिउ
भर पत्र कुंडां, थइ भ्रेकूडां, रुड मुंडा रोडली
            सरमोड सरचो,,,,,,

जेकार थाहर, जगत जाहर, सदा वाहर सेवगां
उपटे धावे, मैआ आवे, लज रहावे देलगां
वधार वानड, अख आनंड, भणे कानड भणी
शरमोड शरचो, अळां अरचो, खरो परचो खोडली

                  छप्पय

खरी देव खोडल, वदे जस जगत वचाळे
खरी देव खोडल, भोवण परचो जग भाळे
खरी देव खोडल, नीयणां दलद्र निवारण
खरी देव खोडल, मतंग मेखासुर मारण
चारण वरण राखत चडा, अळ मादाकुळ अवतरी
करजोड कान महेडु कहे, खोडल देवी हे खरी जीय खोडद देवी हे खरी

🌱🌱🌱🙏🌱🌱🌱

Share:

0 comments: