गलमाल थीये छोगाला गढ़वी
वाचा बल वाळाय वमल
रज रज रखी करें रोशाळा
काळा मूंछाळाय कमल|
*- सेजकसिंहजी गोहिल द्वारा धनराज महेडू किं प्रशस्ति में लिखा गया गीत | ई. स. १२६० 🙏🌻*
गलमाल थीये छोगाला गढ़वी
वाचा बल वाळाय वमल
रज रज रखी करें रोशाळा
काळा मूंछाळाय कमल|
*- सेजकसिंहजी गोहिल द्वारा धनराज महेडू किं प्रशस्ति में लिखा गया गीत | ई. स. १२६० 🙏🌻*
0 comments:
Post a Comment