Monday 12 March 2018

मेहङू कवि रिवदानजी बोरूंदा !! घोङे का मरसिया !!

मेहङू कवि रिवदानजी बोरूंदा !!

घोङे का मरसिया !!

जोधपुर महाराजा तखतसिंह जी के कुंवर जसवंतसिंह जी द्वितिय को घुङसवारी का बेहद शौकथा उनका यह प्रसिध्द प्रिय घोङा जिसका ऊन्होनै "चीता" नाम रखा था, यह घोङा चल बसा, जसवन्तसिंहजी इतने उदास हुये कि दो दिन भोजन नही किया, उस अश्व "चीते" की स्मृति में कवि वर रिवदान मेहङू ने एक भावपूर्ण व सरस अलंकृत दोहा कहा जो आज तक भी प्रचलित है !!

!!दोहा !!

​हुवौ नचीतौ पवन हव,​
​अस रीतौ भव आज !​
​जीतौ खगपत सूं जकौ,​
​बीतौ चीतौ बाज !!​

वाहरे रिवदानजी राजकुमार का शौक एक दोहै से ही दूर कर दिया !!

राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!
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