Friday 12 April 2019

आदरणीय ईश्वर दान जी भाई...- आसुदानजी मेहड़ु

आदरणीय ईश्वर दान जी भाई...
आ घणा बधा दोहा अने सोरठा
रावलदेवो ना कहेला छे...कालींजर, कालुझर एकज नाम नगरपारकर टाऊंन जेना पड़खे वसेलो हतो ते...ड़ूगर कालींजर पारकर नी ओलखाण,
गर्व अने छेवटे सोढाओए शरण पण कालींजर मां ज लिधी हती।
कहावत छे..." कालींजर मां सवा सेर सोनो उपजे... एटले मध, गूगल तथा वांनकी वांनकी ना वृक्षो जेने आपणे सागवान थी वधारे गणियें तोय खोटो नहीं एवी
वनस्पती ए सिवाय जे पत्थर छे ए तो एवो ग्रेनाइट छे जेवो दुनिया मा शायद ज हशे...माटे कालींजर एक आइडिन्टिफिकेशन छे पारीनगर पारकर नी ...एक "लोगो" एक सिम्बल....एक साचो गर्व ।। हवे पारकर नाम जे थपाणो एनी पाछल हकीकत आ छे ।
    थल अने पारकर बे भाग ।
1. थल....( जे धरती नो भाग रेतीलो.. धोरा वालो..उबड़खाबड़
टोपोग्राफी डाइसेक्टेड टाईप नो छे ते भाग थल कहेवाणो...कहेवाय छे...आ भाग आपणे धाट कहिए छिए ।
2. जे भाग थल थी दक्षिण दिशा कच्छ रण तरफ छे ते समतल अने सरखो भाग छे.. .ते पारकर कहेवाणो । ज्यारे आवड़जी आई हाकड़ो पीधो समुंदर सुकावयुं त्यार बाद हाकड़ा निचे जे  पृथ्वी नो भाग हतो ते पाणी ने लहरो ने कारणे एवुं बनेलो देखाणो...अने अमुमन नदी नाला ज्यारे सुकाई जाय त्यारे आपणे देखता पण होइये छिये । ए प्रमाणे भुगोलिक परिवर्तन कारणे थयुं ।।बीजुं... घणा वर्षो पेलां थल धरती दुकानो बहु ओछी हती
जीवन जरूरत नी वस्तुओ सहजे मलती न हती एटले ऊंठो ऊपर व्यापार चलतो...ऊंठो ने नी कतारो काफिला गढड़ा रोड थी चालता अने हारीज पाटण थी चोखा, घ्ऊं, पतरा ओरडा़ बनावा माटे अने करियाणा नो सामान लावी थल....पारकर मा वेचता ।
हवे धोरा धरती ने पार करी ने कच्छ रण मां थ्ई हारीज जता ।
एटले नाम पाड़यो....थल...पार..कर==थरपारकर या थार पारकर ।।
सूफी शायर अब्दुल लतीफ भिटाई पण पोताना " शाह भिटाई जो रिसालो " पुस्तक मा पण वर्णन करयुं छे ।।
थर वठो, भर वठो, वठो मींह् गडा़
पोयांरी जो पट्न में, चूंगारिन चडा़
कादर भंञ़ज कड़ा, त मारुअन मिले मारुई ।।
भावार्थ:--भिटाई कहता है बारिश मे थर वाले भाग मे ओर भर यानी समतल धरती वाले भाग पारकर मे आज जोरदार बारिश हुई है बड़े बड़े ओले गिरे है. .आज मारुई तेरे थर को बारिश ने तरबतर कर दिया है खुश हो जा ।
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