Wednesday 4 January 2017

चलकनेची त्रिभंगी छंद

चलकनेची त्रिभंगी छंद

🙏🙏चाल़कनेची चामुडा 🙏🙏
                दोहा
गंग गया काशी गया,  पावन किया  निपाइ।
जग अभया विजया जया, अमया खमया आइ।

विमल़ा कमल़ा वीजल़ा चख   भूंभल़ा सुचंग।
महिल़ा अकल़ा मंगल़ा,सकल़ कल़ा शिवसंग।

अवरी अमरी अपशरी,शीकोतरी सकत्त।
आशापुरी अगोचरी, माहेशरी  महत्त।

जगहरणी करणी जगत, सुर सामण सुभेद।
अशरण  शरणी अपरणी, वै वरणी  चत्रवेद।
         छंद त्रिभंगी
वेदाँ  वचाणी  पढे पुराणी क्रोड़  विनाणी  कतियाणी।
के काम कामाणी   अकह कहाणी, जय सुरराणी जगजाणी।
भाखै ब्रह्माणी तूं मन भाणी, अविरल  वाणी ऊदंडा  ।
रवराय रवेची  मुहमाडेची , चाल़कनेची   चामुंडा।१।

आशापुरी आई देव दुगाई , महण मंथाई मंहमाई।
सतसील सदाई जुथ जेताई, गाढ बढाई गरवाई।
दैतां दुखदाई सुराँ सहाई ,खिता उपाई नवखंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची, चाल़कनेची  चामुंडा।२।

सेवे ब्रमत्ती जत्ती सत्ती आद सगत्ती अवगत्ती।
पावन प्रकत्ती वेद वकत्ती तूं सुरसत्ती त्रिसगत्ती।
महमाय मुरत्ती उत्तम अत्ती सत्ती पत्ती पतसुंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।३।

सुन्दर हंसलाल़ी सदा सुखाल़ी रम्मतियाल़ी रतियाली।
कोयला गिरवाल़ी धरण कमाल़ी बूढी बाल़ी बिरदाल़ी।
त्रिपुराचर ताल़ी मन मछराल़ी पाप प्रजाल़ी परचंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।४।

केहरि असवारी अकन कुंवारी मास अहारी मेवारी।
धन पुहच तुहारी अज अवतारी तू भवनारी भवतारी।
पीयत रत पाडा मारण जाडा अहर अराडा अरिचंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चालकनेची चामुंडा।५।

माता मातंगी उत्तम अंगी बाण सुचंगी वेदंगी।
त्रिचख अरधंगी लहर तरंगी निज भेदंगी नादंगी।
निहकल़ निकलंगी रिध सिध रंगी अजा उमंगी ऊदंडा।
रवराय रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची चामुंडा।६।

वीराँ रा टोल़ां साथ सबोल़ां,झूल झकोल़ां रमझोल़ा।
धूपाँ ढगसोल़ां नित्त उधोल़ां होय किल़ोल़ां हींगोल़ा।
जोगण खेखट्टा रूप विकट्टा  खेल झपट्टा  खल़खंडा।
रवराय  रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची  चामुंडा।७।

उतरे आकासं विवरे वासं वलै़ विलासं कवल़ासं।
वडवडा तमासं हास हुलासं  जोत प्रकासं ऊजासं।
जग व्यापक जोई कल़े न कोई पारन होई पाखंडा।
रवराय  रवेची मुहमाडेची चाल़कनेची  चामुंडा।८।
                छप्पय
चालराय चामुंड  माड मांडण महमाया।
चरताली चंडिका कालिका कायम  काया ।
नवनेता भवनारि  नवे  दुर्गा नव  निद्धी ।
इम हमीर उच्चरै शरम  राखै हरसिद्धी।
सावत्री गौरी लखमी शकति, गुण रजतमो सतोगुणी।
बीसहथी धन्यधारी वडम,  जय जालंपा जोगणी।।
(कवि हमीर जी रतनू कृत)

भूदेव आढा
करणी कुटीर जयपुर

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