Sunday 23 October 2016

आई श्री चालकनेची माँ धाम चालकना- उदयराज विश्नोई "खिलेरी

बाढाणा बड़ देश में,चालकनो इक गाम।
धौरा धुणी तापता,आवड़ मां रो धाम।।
कैर कंकैड़ी बौरड़ी,खैजड़ जाळ वणीह।
आवड़ मावड़ चारणी,धौरा धाट धणीह।।
सिन्ध में रहता साहूवा,चारण कुळ कविराय।
मांड बसाई मावड़ी,थलवट धौरा मांय।।
मादा रा सुत मामड़ा,भगत सगत हिंगलाय।
सगत पीठ इक सांतरौ,सिन्ध बलुचा मांय।।
बण्ड सैठ इक बांठियौ,मामड़ मौसो दीन।
पुत्र विहुणा पांपळा,कांई करणौ जी'ण।।
भरम भगत रा राखजौ,लिजिया राखौ मात।
सात फैरा दिया सांवठा,हिंगलाज के जात।।
माता मन ममता घणी,मात सुणी आ बात।
इक देवुंला डिकरौ,धिवड़ियां दूं सात।।
मामड़ साहुवा मांड रा,आवड़ मां घर आय।
मौहवरती मेहड़ु चारणी,गौद खिलावै माय।।
विकरम संवत विचारणा,अठ सौ ऊपर आठ।
चैत सुदा मंगळ नम,मात उतरिया धाट।।
चाळक दाणू चालियौ,सिन्ध धरा सूं धाय।
सिर सूं धड़ सळटावियौ,आवड़ मायड़ आय।।
आवड़ थारौ आसरौ,धौरा मांही धाम।
चाळकनैसी चाव सूं,सिमरुं आठौ याम।।
चाळकनैसी चानणौ,थळिया धौरा मांय।
भगता थांसूं विणती,दरसण करियौ आय।।

जय माताजी
जय चालकनेची माँ।                                  ये आई श्री चालक नेची माँ की कविता है।
जहा हम मेहेडु भाइयो की कुलदेवी का मंदिर है बारमेर डिस्ट्रिक  राजस्थान में।                  Bhavardan sata-6/12/15.                

ये आई श्री चालक नेची माँ की कविता है।
जहा हम मेहेडु भाइयो की कुलदेवी का मंदिर है बारमेर डिस्ट्रिक  राजस्थान में।        

रचियता:-उदयराज विश्नोई "खिलेरी"
अध्यापक अगड़ावा(सांचोर)

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