Monday 30 January 2017

कृतिकार कवि परिचय

.                  ​【कृतिकार कवि परिचय】
(१.) पितृ परिचय:
नाम - श्री मोतीसिंह जेठाभाई महेडु गढ़वी
उप नाम - मुक्त कवि
पिता - श्रध्धेय जेठाभाई हलुभाई महेडु
माता - श्रीमती सूरजबा बहेन रणछोड़दानजी नोधु. खडोल.
गाम - सामरखा, ता.- आणंद, जीला- खेड़ा, गुजरात.
मोसाळ - मामा श्री ............ नोधुं.
गाम - खडोल, ता.- कपड़वंज, जीला- खेड़ा.
जन्म - वि.स. - १९५२. आषाढ़ सूद ११.
अभ्यास - गुजराती धोरण - ७.
(२.) वंशावली:
               
.                        ​पेढ़ी परिचय
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                      ​कानदासजी महेडु
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1.वीसाभाई. 2.हलुभाई. 3.रतनसिंह. 4.दौलतसिंह. 5.उमाभाई
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                       ​हलुभाई महेडु
                                ⬇
1.लाखाभाई.                              2.जेठाभाई
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                      ​लाखाभाई महेडु
                                 ⬇
                        1.सामंतसिंहजी
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                       ​जेठाभाई महेडु
                                 ⬇
                        1.मोतीसिंहजी
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                   ​सामंतसिंहजी महेडु
                                 ⬇
1.नटवरसिंहजी,                    2.शंभुदानजी
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                    ​मोतीसिंहजी महेडु
                                 ⬇
                       1.दिलीपसिंहजी
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                     ​नटवरसिंहजी महेडु
                                 ⬇
                         1.पकंजदानजी
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                       ​शंभुदानजी महेडु
                                  ⬇
1.प्रतापदानजी                          2.चतुरदानजी

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Sunday 29 January 2017

गरबो आई सोहागी माँ

.                            ।। गरबो ।।
.                    आई श्री सोहागी आई
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आई तमे सतनी मुडी साथ,
                          आव्यां अवनीमां रे लोल...(१)
माड़ी तमारो महेडु कुळमाँ अवतार,
                    सोहागी रुडु नाम धर्यु रे लोल...(२)
आईनु सासरु मैईया कुळमांय,
                   मांडणजी हता दिकरा रे लोल...(३)
मांडणजीनो घोड़ो तेजीलो तोखार,
                      सोढाने नजरे चढ्यो रे लोल...(४)
सोढाये घोड़ा नी मागणी कीधी,
        मांडणजीऐ मागणी मानी नही रे लोल...(५)
सोढाये कुडु कावत्रु किधुं,
                     अश्व रूड़ो चोरी गया रे लोल...(६)
मांडणजीनो गळे कटारी दीधी,
                       सोढा ने श्राप दीधो रे लोल...(७)
मांडणजीना मृत्युनी थई जाण
             सोहागी आई ने सत चडयु रे लोल...(८)
आई ऐ मस्तक खोळमां लीधुं
            बाखासर टींम्बे झमर बल्यां रे लोल...(९)
आईऐ सोढाने दीधो श्राप,
                    राजपाट पतन थाशे रे लोल...(१०)
सोहागी नामे वसावो नवुं गाम,
                   चारण सो सुखी थसे रे लोल...(११)
आईना शब्दो साचा थया,
                सोढानी जागीर ना रही रे लोल...(१२)
सोहागी गामे चारण सौ सुखरूप,
             आईना आर्शीवाद फल्यो रे लोल...(१३)
आईनी खांभी थड़े पुजाय,
                  बाधानी आवे मानता रे लोल...(१४)
आईना सतनुं समरण कराय,
                   'अमर' देवी दया करे रे लोल...(१५)
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उपरोक्त माहिती- श्री शंकरदानजी कविराज मेहड़ू  सोहागी
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चरज आई सोहागी माँ की

.                         ।। चरज ।।

.                   आई श्री सोहागी आई

      गाम- सोहागी, जीलो- बाड़मेर, राजस्थान,
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राग- आई सतमां सवायां, माता धमणीमां समाया
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        आद्यशक्ति अनुरागी, आई सती थया सोहागी
   भय मृत्युनो दीधो त्यागी, ...रे सुहागी माड़ी...(१)टेक

        मैईयानो घोड़ो मागी, सोंढे सतने दीधुं त्यागी
       उर अवळी रढ लागी, ... रे सोहागी माड़ी...(२)

       सोढाये सदबुध्धी न लीधी, घोड़ानी चोरी कीधी
  मांडणजीऐ गळे कटारी दीधी, ...रे सोहागी माड़ी...(३)

        जोगमाया माँ जोराळी, बैठा छो आसन वाळी
      दीधां दोऊ पखां उजाळी,... रे सोहागी माड़ी...(४)

          माये कोप भारी कीधो, सोढाने श्राप दीधो
       जागीरी थी उथापी दीधो, ...रे सोहागी माड़ी...(५)

          सदभक्ति आई आपो, माँ जपुं तमारा जापो
         सुखसांति चित स्थापो, ...रे सोहागी माड़ी...(६)

          देव 'अमर' गुण गावे, आई सुहागीने रिझावे
          हरदम हैयामां लावें, ...रै सोहागी माड़ी...(७)
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उपरोक्त माहिती- श्री शंकरदानजी कविराज मेहड़ू  सोहागी
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आई श्री सोहागी आई दोहा

.                           ​दोहा​
.              ​आई श्री सोहागी आई​
   ​गांव- सोहागी, जीलो- बाड़मेर (राजस्थान)​
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अख़िल विश्वमां आपनी, चैतन्य ज्योत जंलत
पावन प्रकाश प्रगटी रह्यो, ऋषि-मुनि ध्यान धरंत..(१)
अनुभूति आवे आपनी, सकळ पापनो नाश
आत्मशांति अनुभवे, आनंद सागर वास..(२)
वाकसिध्धि वचने वसे, मीथ्या वचन ना थाय
संकल्प साचो ठरे, आनंद उर उभराय..(३)
शिव तत्व स्थिर छे, शक्ति सर्जनहार
ज्ञान-किया अव्देत तणां, बुझे कोई बुझनहार..(४)
अविनाशीनी अकळ गती, शुध्धमति सुज्ञान
प्रारब्ध योगे प्रगटे, भक्त पासे भगवान...(५)

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उपरोक्त माहिती- श्री शंकरदानजी कविराज मेहड़ू  सोहागी

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Saturday 28 January 2017

आई श्री सुहागी आई नो इतिहास

.       आई श्री सुहागी आई नो इतिहास

   गाम- सुहागी, जीलो- बाड़मेर, राजस्थान.

विक्रम सवंत १५८० मां सोहागी गांम गंगाजी सोढा द्वारा महेडु शाखाना चारण भादाजी मेहडु ने बक्षीस करेल हतु, सुहागीनु अगाउनु असली नाम मेहडुवास हतु, भादाजी महेडु ना सुपत्री सुहागीबाईनु लग्न मैइया शाखाना चारण साथै थयेल हतु, सुहागीबाई ना पुत्र माडणजी मैइया हता, माडणजी नी पासे सोढा राजपूते घोडा नी मागणी करी हती, माडणजीये आ मागणी स्वीकारी न हती, माडणजीये हठपूर्वक घोड़ो आपवा नो इनकार करता सोढा राजपुते कावत्रु करी घोड़ाने चोरी लई गयेल हता। आ बनाव समय माडणजी सामाजीक कामें बहार गाम गयेल हता। पाछल थी माणस मोकली बनावनी जाण तेमने करवामा आवेल हती। समाचार मळता माडणजी घरे आव्या पछी अने घोड़ो राजपूतो लई गया नी खात्री करता घोड़ा पाछल बाखासर गामे वसेल सोढा राजपूत नो घोड़ो लई गयाना निसान तपासता ते गामे पादरमां जताज चारण खून नी तस्वीरे गले कटार परोवी दीधेल हती आवी हालत मा तयो सोढा राजपुतोनी कोटड़ीये जई पहोच्या अने सोढा राजपूताने श्राप आपेल के जोगमाया तमने आवा कृत्योंनो बदलो आपी देसे। माडणजी काम आवी गया तेनाथी सोढा राजपूतो भयभीत थई गया अने ऐ जाण माडणजी ना मोसाल पक्ष महेडु चारणों ने करी हती। महेडु शाखाना चारणों अने माडणजीना वंशजो भेगा मली तेमना पार्थीव शरीर ने लई आव्या। आ दुखद समाचार पियर मा पधारेल सुहागीबाई ने आपवा मा आव्या, सुहागीबाई ना कीधा मुजब पुत्र ना मृत देहने  हाल वसेल सुहागी गाम नी पश्चिम दिशाये जया बाखासर नजरे देखाये तेम धोरा ऊपर चिता खड़कावी पोताना दिकरा मांडणनु मस्तक खोळामा लई सुहागीबाई संवत   १५८५ मा आसो मास सूद ७ ना रोज सती थया। आईये सोढाओ ने श्राप आपेल के जाओ तमारा राजनु पतन थसे। माताजी ना शब्दो साचा थता सोढाओ ना भाणेज चौहाण राजपूतोऐ आक्रमण करी सोढाओ पासे थी जागीरी पड़ावी लीधेल हती। विशेषमें माताजीये पियर पक्षना चारणोंने आज्ञा करी हती के आ गाम मारा नामे थी वशावसो अने तेम करशो तो सर्व चारणों सुखी थासो। माताजीनी कृपा थी आजे पण सुहागी  गाम ना चारणों साधन संपन छे। आई जे जग्याऐ सती थयेल छे ते जग्याऐ तेमनो थड़ो हयात छे।

.                      प्राचीन दोहा

सोंढे भादाने समर्पीओ, जश कारण धण जाण,
दत्त सोहागी शासण दीयों, रीजे गांगे राण...१

संवत १५८० भगु, सातमने पक्ष सार
सोढे भादाने समर्पीओ, दत्त गांगे दातार..२

आई श्री सुहागीआई झमर बळी सती थयानी ऐतिहासिक माहिती आ गाम ना प्रतिष्ठ चारण कवि श्री शंकरदानजी महेडु तथा तेमना पुत्र कवि श्री सामलदानजी महेडु के जे पण सारा विद्धवान कवि छे तेमणे गामना अन्य वडील महेडु शाखाना चारणोंनी हाजरीमा आपेल छे।

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उपरोक्त माहिती- श्री सामालदानजी कविराज मेहड़ू  सोहागी
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Wednesday 25 January 2017

कवि लूणपालजी (लूणकरणजी महेडु)

.     *कवि लूणपालजी (लूणकरणजी महेडु)-*

ये मेहडु शाखा के चारण कवि थे। ये गुजरात स्थित मारवी गोद के निवासी थे। यह गांव इन्हें झाला राजपूतों से प्राप्त हुआ था जो हळवद के पास है। लूणकरण मेहड़ू मेवाड़ के महाराणा मोकल के समकालीन थे। राजस्थान के ब्रह्मणों ने राणा मोकल को चारण जाति के विरोध बहका रखा था की यह जाती देवी आवङ को भेसे की बली  चढ़ाने ने एवं उसका रक्त चखने के कारण अछूत है।

अतः चारणों से मिलने के बाद उन्हें स्नान करना चाहिए। महाराणा ऐसा ही करने लगे। जब यह बात लूणकरण को ज्ञात हुई,  तो वे राणा मोकल से मिलने हेतु चित्तौड़ आऐ, इनसे मिलने के पश्चात मोकल ने नीयमानुस्वार स्नान किया। यह देखकर लूणकरण ने सात बार स्नान किया। मोकल को जब यह पता चला तो उसने कवि लूणकरण को बुला कर कारण पूछा।
कवि ने उत्तर दिया कि- "आप नित्य गौ हत्या करवाते है अतः आपसे मिलना सर्वथा अपराध है।" राणा ने उनसे पूछा कि कैसे? तब लूणकरण महेडु ने कहा कि - आप स्वर्ण गाय का दान करते है और ब्रह्मांड उसके टुकड़े कर बाटते है । जब महाराणा ने ब्रह्मणों को बुलाकर पूछा तो उन्हें ज्ञात हुआ कि दान में दी गई सर्वण गाय के टुकड़े कर वे परस्पर बाट लेते है। लूणकरण महेडु की युक्ति पर महाराणा को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने चारणों का यथोचीत सम्मान कर लूणकरण महेडु को मेवाड़ में बाड़ी और सोजत के पास राजोला गाँवो की जागीर भेट की। इनके द्वारा रचित फुटकर रचनाएं उपलब्ध है।

*उपरोक्त माहिती- चारण समाज के गौरव पुस्तक से प्राप्त हुई।​*
​         
.                         *लेखक*
               *जगदीश रतनु दासोड़ी*

*टायपिंग - हीरदान देवल पूगल*
          *97851 47952*

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Monday 23 January 2017

कविस्वर लुणपालजी के ढोलामारु रे दो

कविस्वर लुणपालजी के ढोलामारु रे दोहे ( सुफी- उन कामलीवाले, Magu, Sophia - दाशॅनीक , षटवणॅ ) आध्यात्मिक रस रंग अथॅ जीस में ढोला यानी परमात्मा ओर मारुं यानी पृकुती - चित इच्छा शकित एेसा दिव्य अनुभूति के रंग  महात्मा संत कबीर की कबीरवाणी में भी फकत ऐक शब्द का परिवर्तित भक्तिपरक साखीआ मील रही है . ये सुफी आख्यान की आगवी यादी  दे रहे है

  अंबरी कुंजा करलीयां, गरजी भरी सब ताल:
   , ताकु कवण हवाल ,
   अखीयन तै झाँइ पडी, पंथ निहारी निहारी:
   जीभ्या मां छालां पडयां , पिव पुकार पुकारी.     ढोलामारु ( लुणपालजी महेडु )

  अंबरी कुंजा करलीयां, गरजी भरी सब ताल:
   , ताकु कवण हवाल ,
   अखीयन तै झाँइ पडी, पंथ निहारी निहारी:
   जीभ्या मां छालां पडयां , राम पुकार पुकारी.      कबीरवाणी । ( संत कबीर )

भकित कवियत्री मेवाड़ी महाराणी मिरांबाइ जन्म वतन मेडात ओर ससुराल मेवाड- राज. देानो राजवंश चारण ओर चारणी साहित्य के चाहक ओर आश्रयदाता. इन राजकुलो का चारणीसाहीत्य के पृसारण में योगदान न हो तो ही आश्चर्य ! मिरांबाइ की कहाती साखीया ओर भजन में भी ढोलामारु के दोहे मील रहे है.

   कागा ! करक ढंढोळे , करि सब ही खाये मासं:
ऐक न खाये लोयणां, पियु देखण की आस...२२४

कौवा सुण मारु कहे, उडी नरवर जाय :
लेइ हमारी पांसळी, ऊस लोभी देखत खाय.
ढोलामारु ६/१७८ लुणपालजी महेडुं

कागा सब तन खाइओ, चुनचुन खाइओ मांस:
दो नैना मत खाइओ, मोहे हरी मिलन री आस.

हरी ए न बुझी बात, माइ! टेक
काढ कलेजो भोंय धरु हो, रामजी
कौवा तुं ले जाय,
जहाँ देश मोरा पियुं बसत है
वे देखें तु ं खाय ... माइ ३
मिरांबाइ सैा. यु . ह. पृ १५३/३९५१
   इसतरह संत कबीर ओर मिरांबाइ जेसे भक्त कविओ के मुख से पृसारीत हुये ढोलामारु री वात के दुहे से पृभावित वितरागी साधु कुशळलाभजी( वि. १६७७) चोपाईबध्ध कर लिख रहे है,

   “ जे पण पर कवि मुख सांभळी, तिण पर में मन रळी.
दोहा घणा पुराणा अछे, चोपाई बंध कियेा में पछे.”

  ए जैन साधु कवि कुशळलाभजी जेसलमेर के रावल मालदे के पुत्र कुवंर हरराज के काव्य गुरु सहयोगे पृथम डींगल छंद शास्त्रगृंथ पिगंळ शिरोमणी दीया है । जीस मे २३ दुहे , २८ गाथा ओर ७१ पृकार के छप्पय लक्षण उदाहरण सहीत दीये है । ७५ पृकार के उलंकार ओर चित्रकाव्य ओर डींगळ नाममाळा पृकरणपयाॅय वाची शब्दबध्ध संकलन देते हुये ४० डींगळ गीतों के लक्षण दीये है (१६३४) इसी उनुसंधान में महेडु कविराज गोदडजी ने चोवीस उवताररां छंद में चोवीस पृकार के डींगळ छंद उदाहरण दीये है

संकलन - यशवंतजी लांबा
युविवसॅल महेडु उल्लायन्स
टंकन- विजयदान महेडु

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Friday 20 January 2017

पेढ़ीनामा साता (मुळ गाम-राठी, पारकर, पाक) महेडु परिवार

*पेढ़ीनामा साता (मुळ गाम-राठी, पारकर, पाक) महेडु परिवार⤵*
                     *करशनजी*
                            ⬇
                       *खेगारजी*
                            ⬇
                       *अमरोजी*
                            ⬇
                      *मेघराजजी*
                            ⬇
                      *रायघरजी*
                            ⬇
                      *जीवणजी*
                            ⬇
                     *खेतसिंहजी*
       ___________⬇ __________
      |  |                                    |  |
     ⬇                                     ⬇
*रोमसिंहजी*                     *हिगोलदानजी*
     ⬇                                      ⬇       *खेतसिंहजी*                     *जयसिंहजी*
     ⬇                                      ⬇
सादुळसिंहजी​​                      *प्रभुदानजी*
     ⬇                                      ⬇
हरसिंगजी                         *बीजलदानजी*
     ⬇                                     ⬇
     ⬇                                  *खेतजी*
     ⬇                                     ⬇
     ⬇                                  *वालदानजी*
     ⬇                                     ⬇
     ⬇                                *निम्बदानजी*
     ⬇                                     ⬇
     ⬇             *आवड़दान ओर सामलदान*     
     ⬇             (हाल में तरला बारमेर)           
     ⬇
*मोहनजी​* ➡ (इनके दुसरे भाई) *मोतीजी*
     ⬇                                      ⬇
*बेचरोजी*
     ⬇➡➡➡➡⤵
                             ⬇
1.तंगदानजी, 2.मोहब्तदानजी, 3.खेतदानजी, 4. आईदानजी
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.                     ​ *1.तंगदानजी​​*
                              ⬇
1.भुरदानजी, 2.जोवाहरदान, 3.गेंनदानजी, 4.महादानजी.

.                 ​2.मोहब्तदानजी​​
                          ⬇
1.राणीदानजी,              2.सरदारदानजी

                     ​3.खेतदानजी​​
                              ⬇
                           दो पुत्री

.                  ​​4.आईदानजी​​
                              ⬇
1.चेनदानजी,   2.हेमदानजी.  3.लालदानजी
-----------------------------------------------------------
.                   ​​1.भुरदानजी​​
                             ⬇
1.विरधदानजी, 2.ईश्वरदानजी, 3.जीतूदानजी

.                    ​2.​जोवाहरदान​​
                             ⬇
1.रासदानजी, 2.हरदानजी, 3.गोरधनदानजी, 4.सेणीदानजी

.                     ​​3.गेंनदानजी​​
                              ⬇
1.वीरमदानजी, 2.देवीदानजी 3.नरपतदानजी,

.                     ​4.महादानजी​​
                              ⬇
                           एक पुत्री
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.                     ​1.राणीदानजी​​
                              ⬇
                        1.सूरतदानजी

                       ​​2.सरदारदानजी​​
                                 ⬇
1.लक्ष्मणदानजी,                     2.सक्तिदानजी
-----------------------------------------------------------
.                    ​​1चेनदानजी​​
                             ⬇
1.मंगलदानजी,    2.मोरारदानजी,  3.पीरदानजी

.                    ​​2.हेमदानजी​​
                             ⬇
1.मघदानजी,                       2.छगनदानजी

.                    ​3.लालदानजी​​
                             ⬇
1.निम्बदानजी, 2.हकमीदानजी, 3.अम्बादानजी
-----------------------------------------------------------
.                   ​1.विरधदानजी​
                             ⬇
1.वेणीदान, 2.जयेशदान, 3.देवीदान

.                   ​2.ईश्वरदानजी​
                             ⬇
1.नरपतदान,                    2.बाबुदान

.                  ​3.जीतूदानजी​
                             ⬇
                         एक पुत्री
-----------------------------------------------------------
.                  ​1.रासदानजी​
                             ⬇

.                     ​2.हरदानजी​
                             ⬇
1.गोविन्ददान, 2.मुकेशदान, 3.दलपतदान, 4.अमरदान

.                  ​3.गोरधनदानजी​
                            ⬇
1.रविंद्रदान.                    2.सैणीदान

.                   ​4.सेणीदानजी​
                            ⬇
1.स्वरूपदान,                2.हितेशदान
-----------------------------------------------------------
.                  ​1.वीरमदानजी​
                            ⬇

                    ​2.देवीदानजी​
                             ⬇
                         पृथ्वीदान

                   ​3.नरपतदानजी​
                             ⬇

-----------------------------------------------------------
.                  ​1.सूरतदानजी​
                             ⬇
1.सावलदान,                2.कैलाशदान
        ⬇
     एक पुत्री

----------------------------------------------------------
.                  ​1.लक्ष्मणदानजी​
                             ⬇ 
1.महेशदान,                     2.भवरदान

                       ​2.सक्तिदानजी​
                             ⬇
1.स्वरूपदान,                 2.जीतूदान
-----------------------------------------------------------
.                      ​1.मंगलदानजी​
                              ⬇
1.गोरधनदान,               2.मुकेशदान

                      ​2.मोरारदानजी​
                               ⬇
1.राणीदान,                     2.मुकेशदान

                      ​3.पीरदानजी​
                               ⬇
1.रमेशदान 2बाबूदान 3.मनोजदान 4.विक्रमदान 5.राघवदान
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.                      ​1.मघदानजी​
                               ⬇

1.सैणीदान                   2.करणीदान
.                      ​2.छगनदानजी​
                               ⬇

1.स्वरूपदान,.                 1.जीतूदान
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.                     ​1.निम्बदानजी​
                               ⬇
1.प्रतापदान 2.मनोहरदान 3.जबरदान

.                     ​2.हकमीदानजी​
                               ⬇
                            पाँच पुत्री

.                     ​3.अम्बादानजी​
                               ⬇
1.दिलीपदान,                       2.स्वरूपदान
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​साता में महेडु परिवार में काकू सा जीतूदानजी (मघदानजी) भाई सामलदानजी और भाई रमेशदान की बस हमारे बीच उनकी यादे ही रह गई है, जो अपनी कम उम्र में ही हमारे बीच से चल बसे भगवान उनकी आत्मा को सांती प्रदान करे,​

​1. जीतूदानजी/भुरदानजी महेडु इनके एक पुत्री है,  - जन्म तारीख-​
                     ​स्वर्गवास तारीख-​

​2.सामलदान/सूरतदानजी महेडु इनके एक पुत्री है - जन्म तारीख-​
                     ​स्वर्गवास तारीख-​

​3.रमेशदान/पीरदानजी जो की स्कूल के दिनो में बालोतरा में पढ़ाई करते करते महेडु भाइयो का साथ छोड़ चले अपनी कम उम्र में ही -                     जन्म तारीख-​ 19.01.1991
                    ​स्वर्गवास तारीख-​ 05.09.2009
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​और कुछ महत्तपूर्ण जानकारी⤵​

​​1.बेचरोजी महेडु विसे जानकारी​​                    ⬇
इनके चार पुत्र उनके नाम- 1.तंगदानजी, 2.मोहब्तदानजी जो सबसे बड़े थे, 3.खेतदानजी, 4. आईदानजी,
इनके पुत्री- नही थे
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- चूड़ियो पाक में और अभी कपुरासी कच्छ (खड़िया)
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​1.तगदानजी महेडु विसे जानकारी​​
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इनके चार पुत्र उनके नाम-1.भुरदानजी, 2.जोवाहरदान, 3.गेंनदानजी, 4.महादानजी.
इनके पुत्री- चार
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- चारणोर पाक और अभी  बीजासर (देथा)

​2.मोहबतदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके दो पुत्र उनके नाम- 1.राणीदानजी,          2.सरदारदानजी
इनके पुत्री- तीन
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- रोयळ पाक और अभी आनंदगढ़ बीकानेर (घुवड़)

​3.खेतदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके पुत्री- दो पुत्री
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- राठी मईयो की ढाणी पाक (मईया)

​4.आईदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके तीन पुत्र उनके नाम- 1.चेनदानजी,   2.हेमदानजी.  3.लालदानजी
इनके पुत्री- दो
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- 'ममाणा', 'मिसण'
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​1.भुरदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके तीन पुत्र- 1.विरधदानजी, 2.ईश्वरदानजी, 3.जीतूदानजी
इनके पुत्री- दो
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- डीणसी पाक और अभी डेलीतलाई ('बारहठ')

​2.जोवाहरदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके चार पुत्र - रासदानजी- डेली तलाई रहते है अभी, 2.हरदानजी- साता, 3.गोरधनदानजी- मूलथर, 4.सेणीदानजी- डेलीतलाई रहते है,
इनके पुत्री- तीन
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- मईयो की ढाणी पाक (मइया)

​3.गेंनदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके तीन पुत्र जो तरला में हाल निवास-1.वीरमदानजी, 2.देवीदानजी 3.नरपतदानजी,
इनके पुत्री- दो
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- मीठड़ीया पाक और अभी गुंगा जैसलमेर (देथा)

​4.महादानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके पुत्री- एक पुत्री
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह- डीणसी पाक और अभी डेलीतलाई बीकानेर (बारहठ)

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​1.राणीदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके एक पुत्र- सूरतदानजी   
इनके पुत्री- एक
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-
इनका विवाह-  दो बार हुई है- पहले छाह पाक में और भी रोढीया (घुवड़),  देदळाई पाक और अभी कपुरासी (मिसण)

​2.सरदारदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके दो पुत्र- 1.लक्ष्मणदानजी, 2.सक्तिदानजी
इनके पुत्री- दो पुत्री,
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-16.03.2014
इनका विवाह- भीमावेरी पाक और अभी गणेशवाली बीकानेर (देथा)

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​1.चेनदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके तीन पुत्र- 1.मंगलदानजी साता, 2.मोरारदानजी भुज रहते है, 3.पीरदानजी साता,
इनके पुत्री- एक
जन्म तारीख-02.03.1937
स्वर्गवास तारीख-18.10.1998
इनका विवाह- भिमावेरी पाक और अभी पूगल (बारहठ)

​2.हेमदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके दो पुत्र- 1.मघदानजी साता, 2.छगनदानजी बालोतरा रहते है
इनके पुत्री- दो
जन्म तारीख-
इनका विवाह- चारणोर पाक और अभी बीजासर (देथा)

​3.लालदानजी महेडु विसे जानकारी​

इनके तीन पुत्र- 1.निम्बदानजी, 2.हकमीदानजी, 3.अम्बादानजी
इनके पुत्री- नही थे
जन्म तारीख-
स्वर्गवास तारीख-24.01.2012
इनका विवाह- भिमावेरी पाक और अभी गणेशवाली (देथा)
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​भाइयो भूल हेतू क्षमा और सुधार हेतु सुझाव आमन्त्रित- 9913083073​​👏👏​

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