Monday, 31 July 2017

जाडा मेहडू की पुत्री कीकावती

लक्खा का जाडा मेहडू की पुत्री कीकावती के साथ पाणीग्रहण हुआ था किकावती स्वयं बड़ी दयालु और उदार नारी रत्न थी वह दीन दुखियों की सहायता करने में बड़ी उदार थी संवत 1787 के भयंकर दुर्भिक्ष में उसने अपने संचित द्रव्य से अकाल पीड़ितों की सहायता की किकावती पर रचित कविताओं में उसका अकाल सहायता का वर्णन मिलता है उक्त प्रसंग का वर्णन है. सत-सित सारसी  तप विधि कुंत तंवती| कुळध्रमह कांमणी, धीय हरि ध्यान...
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Sunday, 30 July 2017

बाढाणा बड़ देश में,चालकनो इक गाम

बाढाणा बड़ देश में,चालकनो इक गाम। धौरा धुणी तापता,आवड़ मां रो धाम।। कैर कंकैड़ी बौरड़ी,खैजड़ जाळ वणीह। आवड़ मावड़ चारणी,धौरा धाट धणीह।। सिन्ध में रहता साहूवा,चारण कुळ कविराय। मांड बसाई मावड़ी,थलवट धौरा मांय।। मादा रा सुत मामड़ा,भगत सगत हिंगलाय। सगत पीठ इक सांतरौ,सिन्ध बलुचा मांय।। बण्ड सैठ इक बांठियौ,मामड़ मौसो दीन। पुत्र विहुणा पांपळा,कांई करणौ जी'ण।। भरम भगत रा राखजौ,लिजिया राखौ मात। सात फैरा दिया सांवठा,हिंगलाज...
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Friday, 14 July 2017

कवि कानदास मेहडू नी एक रचना* (नीचे सरळ समजूति आपी छे)

*कवि कानदास मेहडू नी एक रचना* (नीचे सरळ समजूति आपी छे) आगुसे धसीऐ ना, धसीऐ तो खसीऐ ना, शुर के समीप जाके, मारीऐ के मरीऐ, बुद्धि विना बोलिये ना, बोलिये तो डोलीये ना, बोल ऎसो बोलिये के बोलीये सो कीजीये, अजाण प्रीत जोड़ीये ना, जोड़ीये तो तोड़ीये ना, जोड़ ऐसी जोड़िए के जरियानमें जड़ीये, कहे कवि कानदास, सुनोजी बिहारी वलाल, ओखले में शिर डाल, मोसलेसे डरीये ना - - > आगेवानी लेवी नही अने लेवी तो अधवच्चे छोड़ी...
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