. कानदासजी मेहडु कृत हनुमान वंदना
दोहा
सुरस्वती उजळ अती, वळि उजळी वाण।
करु प्रणाम जुगति कर, बाळाजती बखाण॥1॥
अंश रुद्र अगियारमो, समरथ पुत्र समीर।
नीर निधि पर तीर नट,कुदि गयो क्षण वीर॥ 2 ॥
खावण द्रोणाचळ खमै, समै न धारण शंक।
वाळण...
Monday, 19 December 2016
माँ चालकनेश रा दोहा
. माँ चालकनेश रा दोहा
ऊक्ती देवण आवड़ा, मोटि सगत महमाय ।उर मै विद्यया आपजे , चालकने री राय ।।1।।धज बंधण धाम धरा पर, नाम पुजै नवखण्ड ।आई थारै आसरे , भूमी अर भृह्मण्ड ।।2।।वाघ वाहणी विसहथ्थी , हाथ त्रिशूल हजार ।पूजै आखी परथमी , अपणी तुह ओधार ।।3।।धर अम्बर मोटो धणी , मोटो भाण महान ।उण सौ मोटी आवड़ा , देवी गढ़ देशाण ।।4।।मामड़...