Sunday 24 June 2018

वर्षा ना बिंदू थ्या खारा

वर्षा ना बिंदू थ्या खारा...... !

चोगरदम संभऴाय छे नौबत नगारा ,
चीमनी चलम धूमाडियां अंधारा

धरा तणा नर थ्या ऩठारा ....
वर्षा ना बिंदू थ्या खारा .... !

आकाशे वादऴ नी बेठक बोलावी,
ना वरसो आ वरसे थ्यो खरडो
पवने तो वहेंच्या छे ईच्छित ईलाका ने,
ओझोन ना उर पर उजरडो .

वादळ नी पूणी ने पींखे पींजारा !
वर्षा ना बिंदू थ्या खारा  !

मोरला ना मिसकोले मेह नहीं आवे,
एम पंखी नी नात ने संदेशो ....
देखाडी ठाठमाठ भागी जवानुं,
ए आफत नो आव्यो अंदेशो....

बीजो नां बाळ थ्यां बिचारा  !
वर्षा नां बिंदू थ्या खारा  !

आव रे वरसाद नां गीतो विसार्या ने,
मल्हारे धार्यु छे मौन....

धरती पर धार्यु तो मारू ज थाय,
एम दहाडे छे डामर पर डोन ...

आ ईंटो ना जंगल चणनारा  !
वर्षा नां बिंदू थ्या खारा  !

आकाशी दादा नी वादळनी दाढीने,
खेंचे छे चांचेथी खग ......
धरती ना उर नी वराळो आभे अडी,
रूठेला पियु नां पकडे छे पग ....

पछी वरसे ते आंसूं होय खारा....
आज वर्षा नां बिंदू थ्यां खारा  !

- आनंद महेशदान महेडू
24/06/2018
10:55 PM

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