. दोहा
. आई श्री सोहागी आई
गांव- सोहागी, जीलो- बाड़मेर (राजस्थान)
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अख़िल विश्वमां आपनी, चैतन्य ज्योत जंलत
पावन प्रकाश प्रगटी रह्यो, ऋषि-मुनि ध्यान धरंत..(१)
अनुभूति आवे आपनी, सकळ पापनो नाश
आत्मशांति अनुभवे, आनंद सागर वास..(२)
आत्मशांति अनुभवे, आनंद सागर वास..(२)
वाकसिध्धि वचने वसे, मीथ्या वचन ना थाय
संकल्प साचो ठरे, आनंद उर उभराय..(३)
संकल्प साचो ठरे, आनंद उर उभराय..(३)
शिव तत्व स्थिर छे, शक्ति सर्जनहार
ज्ञान-किया अव्देत तणां, बुझे कोई बुझनहार..(४)
ज्ञान-किया अव्देत तणां, बुझे कोई बुझनहार..(४)
अविनाशीनी अकळ गती, शुध्धमति सुज्ञान
प्रारब्ध योगे प्रगटे, भक्त पासे भगवान...(५)
प्रारब्ध योगे प्रगटे, भक्त पासे भगवान...(५)
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उपरोक्त माहिती- श्री शंकरदानजी कविराज मेहड़ू सोहागी
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