Sunday, 17 June 2018

पिता की सीख

|| पिता की  सीख  ||

स्वमान के मायने क्या होते हैं?
खुशी के ठिकाने कहाँ होते हैं?
तूं कब जान पायेगा बेटा?
तूं कब बडा होगा बेटा?

न मिले गर दाना -पानी ,
मिले जग की परेशानी,
थकान हो गर तन में,
मुस्कान रख तूं मन में....

अपना हैं वो जाये ना,
जाये वो ना हो अपना बेटा....
तूं कब बडा होगा बेटा?

ये चकाचौंध देख रहे हो?
ये लंबी लाईन देख रहे हो?
मुफ्त मे क्या मिलता हैं?
खुद-ब-खुद क्या खिलता है?

ताली की आवाज़ कान को भाये,
वो फिर ना आगे बढ़ पाये बेटा....
तूं कब बडा होगा बेटा?

मैंने जो जेला है.... ना जेल.....
खुशी से जग में जा के खेल...

फिर ये आँगन जा  ना भूल,
माथे चडा ये मिट्टी-धूल ,

तूं जो पायेगा मैं पाऊंगा.....
तूं जो खोयेगा दीलाऊंगा  बेटा .....
तूं कब बडा़ होगा बेटा?

मेरे गुस्से की आग को,
कुछ पाने की आग बना  ली,
अब हर दिन तेरा होली हैं,
हर रात तेरी दिवाली.....

दर की दिवार पे तस्वीर बन के नही हूँ अब,
दिल की दिवार पे रख दीया मुझे अब....

तूं कब बडा हो गया बेटा?
तूं  ईतना बडा हो गया बेटा........

-आनंद महेशदान महेडू  |

Happy Father's Day to all of you.

🌷💟

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