चाळराय चाळकनेची रो डिंगळ गीत – कवि केसरदानजी खिडिया
*॥गीत – प्रहास साणोर॥*
चरै मां संदशा करै डसण विधि चोगणी,
खसण विध नोगणी धरै खूनां।
सोगणी खितारै धाक चढि आसुरां,
खसण विध नोगणी धरै खूनां।
सोगणी खितारै धाक चढि आसुरां,
जोगणी चितारै वयण जूनां॥1॥
आज म्है आविया माढ पग अबरखे,
डबर कै छांडि पग मती डागो।
दीसहत खबर कै घणो जग देखसी,
बीसहथ जबर कै देखि बागौ॥2॥
डबर कै छांडि पग मती डागो।
दीसहत खबर कै घणो जग देखसी,
बीसहथ जबर कै देखि बागौ॥2॥
कवळ कतळावियो जेम खाटक करै,
जिको अतळावियो केम जावै।
मात बतळावियो बोलियो मातसूं,
मेछ पतळावियो कठे मावै॥3॥
जिको अतळावियो केम जावै।
मात बतळावियो बोलियो मातसूं,
मेछ पतळावियो कठे मावै॥3॥
मात हिंगळाज सूं अकर चढ मकरियो,
चकरि चढ हकरियो रुधिर चगतो।
बिकट चसमांण जमदूत गत बकरियो,
डकरियो गजब असमाण डिगतो॥4॥
चकरि चढ हकरियो रुधिर चगतो।
बिकट चसमांण जमदूत गत बकरियो,
डकरियो गजब असमाण डिगतो॥4॥
हाँक नवलाख री हेक जिम हुचकै,
थिरत भव लाखरो हेक थायो।
आप सब लाखरो रुप कर आहुडै,
इतै नवलाख रो रुप आयो॥5॥
थिरत भव लाखरो हेक थायो।
आप सब लाखरो रुप कर आहुडै,
इतै नवलाख रो रुप आयो॥5॥
मेछ डंड कड़ड़ नासा ठड़ड़ हड़ड़ मुख,
ब्रह्म पुड धड़ड़ गज गड़ड़ बागो।
धूत पत तनिक जिम जड़ड़ खंच शूळ धर,
भूतपत धनक जिम बड़ड़ भागो॥6॥
ब्रह्म पुड धड़ड़ गज गड़ड़ बागो।
धूत पत तनिक जिम जड़ड़ खंच शूळ धर,
भूतपत धनक जिम बड़ड़ भागो॥6॥
पाट तौ तणां विरद किसूं केहर पुणै,
थाट पत तणां ब्रद सथर थाया।
चाळकै दैतनूं मारियो चंडिका,
रुप थाहरा नमो चाळराया॥7॥
थाट पत तणां ब्रद सथर थाया।
चाळकै दैतनूं मारियो चंडिका,
रुप थाहरा नमो चाळराया॥7॥
*कवि केसरदानजी खिडिया*