. माँ चालकनेश रा दोहा
ऊक्ती देवण आवड़ा, मोटि सगत महमाय ।
उर मै विद्यया आपजे , चालकने री राय ।।1।।
धज बंधण धाम धरा पर, नाम पुजै नवखण्ड ।
आई थारै आसरे , भूमी अर भृह्मण्ड ।।2।।
वाघ वाहणी विसहथ्थी , हाथ त्रिशूल हजार ।
पूजै आखी परथमी , अपणी तुह ओधार ।।3।।
धर अम्बर मोटो धणी , मोटो भाण महान ।
उण सौ मोटी आवड़ा , देवी गढ़ देशाण ।।4।।
मामड़ रै घर मावड़ी, आय लियौ अवतार ।
मनरंग थल मोटो कियौ , भुमी उतारण भार ।।5।।
सेवग झाली सेवना , मोटि जाळ मनरंग ।
काटे कष्ट विघन हटे , आंगण हो उचरंग ।।6।।
ऊर भर विध्या आवड़ा , डावड़ थारो दास ।
अवल रखे नित अम्बिका , पहलो कीजै पास ।।7।।
दुहा छन्द कवता दिजै , किजै सफल सब काम ।
सेण तणी कर सायता , अवल रखे मम नाम ।।8।।
चालक विनती सांभले , बाळक री बाणीह ।
आप सिवा कुण आपणो , चालक सुरराणीह ।।9।।
जाणी आखे जगत में , प्रथम तुह पुजाणीह ।
हिंगळा ऊपर हेत थी , मैहर धणियाणीह।।10।।
क्रमशः
हिंगलाज पुत्र तेजदान ओगाळा