Friday, 12 April 2019

चाळकनेची आवङ वंदना**

**चाळकनेची आवङ वंदना**
*बाढाणे बङ देस में,चाळकनो इक गाम।
धोरा धूणी तापता,आवङ माँ रो धाम।।1।।
*कैर कंकैङी बोरङी,खैजङ जाळ वणीह।
आवङ मावङ चारणी,धोरा धाप धणीह।।2।।
*सिन्ध में रहता साहुवा,कुळ चारण कविराय।
मांड बसाई मावङी,थळवट धोरा मांय।।3।।
मादा रा सुत मामङा,सगत भगत हिंगळाय।
सगत पीढ हद सांतरो,सिन्ध बलुचा मांय।।4।।
*बंड सेठ इक बांठियो,मामङ मोसो दीन।
पुत्र विहुणा पांपळा,कांई करणो जीण।।5।।
*भरम भगत रा राखजो,लिजिय राखो मात।
सात फैरा दूं सांवठा,हिंगलाज रे जात।।6।।
*माता मन ममता घणी,मात सुणी आ बात।
इक देवूंला डीकरो,धीवङिया दूं सात।।7।।
*मामङ साहुवा मांड रा,आवङ माँ घर आय।
*मोहवरती मेहङु चारणी,गोद खिलावे माय*।।8।।
*विकरम संवत विचारणा,अठ सौ ऊपर आठ।।
चेत सुदा मंगळ नमी,मात उतरिया धाट।।9।।
*चाळक दाणु चालियो,सिंध धरा सूं धाय।
सिर धङ सूं सळटावियो,आवङ मायङ आय।।10।।
*आवङ थारो आसरो,धोरा मांही धाम।
चाळकनेची चाव सूं,सिमरो आठू याम।।11।।
*चाळकनेची चानणो,थलिया धोरा मांय।
भगता थां सूं विणती,दरसण करियो आय।।12।।
*मनरंगथळ री मावङी,मनङो रंग दे मात।
भगती तो भरपूर दे,करले आत्मसात।।13।।
आवङ माँ आशीष दे, और न चहिये मोय।
दया हरदम दाखिये,दास ज हूं म्है तोय।।14।।
*चाळकनो चावो कियो,अम्बे मायङ आप।
मनरंगथळ मरुथळ सथल,जपै उदियो जाप।।15।।
रचयिता:-उदयराज खिलेरी अध्यापक राउमावि सेसावा
जालोर
9828751199

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