ओखा - हरण
लाँगीदास महेडु कृुत दोहे
करि समरणां धांनकरि । करणा करणज कोअे।
हेकणवार मरण होअे । फरि अवतरणा नोअे ।।
कोई तो ए दया करवाळा नु ध्यान करो. अेथी अेक ज वार मुत्यु थशे, ते पंछी जन्मवानुं नहीं होय
परम न गावे पेृमसे । जे जे अधरम जंत ।
भरमी भुला भोगवी । अकरम करम अंनत
जे जे अधर्मी जीवोअे स्नेहपुवॅक परमेश्वर ने गाया नथी भृम थी भुलेला तेओ पोताना अपार पापकमोॅ ने भोगवशे.
राम तजे अन देवरी । कीजी सेव न कोअे ।
जे अवतारी जगतमां । सरि उधारि सोअे ।।
राम ने तजी अन्य देवनी सेवा कोइ करशो नही, केम के जे ( राम) जगतमां अवतार लेनारा छे ते ज अंते आपणने उध्धारशे.
सरम करताथीं सरम । के अकरम करंम ।
थां गाडुं दीठा थकां । पग थाका अपरंम ।।
आज लजवंता पण मने लाज आवी छे, मारां केटलाय पापी कामनां कमोॅ छे , पण हे परमेस्वर , तारु गाडुं जोयाथी हवे मारा पगो थाकी गया छे .
पग साजे अपरमपर । जगविह आवि जोअे ।
लष चुरासी लांगडि । आवागमण न होअे ।।
जगत वच्चे आवी ने जोतां परमेस्वर नां चरणों रूप साधन वडे ओ लागींदास ! चौरासी लाख योनीओमां पुनः आवागमन थवानुं नथी रहेतुं .
नज चुमु फरिउ नही । भागल पगे भगत ।
देअल फरिआ भगत दस । अे अवगति वगति ।।
भक्त अेवो चुमोजी चारण के जेना पगों भागीं गया हता, ते पोते देवल नी दीशामां फयोॅ नहीं , पण देवल ज भगतनी दिशामां फयुॅ . आ पृभु नि पिछाण छे.
चुमु गोदड ईसर चवि । नरसी तंमरनाद ।
नामिं तरिआ नांमदे । पिृषत धृु पिृहलाद ।।
चुमो ,गोदडजी , इसरदास कहीअे, वळी तंबुरानो नाद गजवता नरसिंह महेता; परिक्षीत,धुृव , पृहलाद अने नामदेव जेवा भकतो पृभु नाम वडे तरी गया .
सरता दाता पाल सत। कडतल रूप करन ।
हर भगति वजपालहर । वरतावन षट वृन ।।
ओखा - हरण
लागींदास महेडु ( गोलासण)