Tuesday, 28 March 2017

ओखा - हरण लाँगीदास महेडु कृुत दोहे

                          ओखा - हरण
                    लाँगीदास महेडु कृुत दोहे

करि समरणां धांनकरि । करणा करणज कोअे।
हेकणवार मरण होअे । फरि अवतरणा नोअे ।।

कोई तो ए दया करवाळा नु ध्यान करो. अेथी  अेक ज वार मुत्यु थशे, ते पंछी जन्मवानुं नहीं होय

परम न गावे पेृमसे । जे जे अधरम जंत ।
भरमी भुला भोगवी । अकरम करम अंनत

जे जे अधर्मी जीवोअे स्नेहपुवॅक परमेश्वर ने गाया नथी भृम थी भुलेला तेओ पोताना अपार पापकमोॅ ने भोगवशे.

राम तजे अन देवरी । कीजी सेव न कोअे ।
जे अवतारी जगतमां । सरि उधारि सोअे ।।

राम ने तजी अन्य देवनी सेवा कोइ करशो नही, केम के जे ( राम) जगतमां अवतार लेनारा छे ते ज अंते आपणने उध्धारशे.

सरम करताथीं सरम । के अकरम करंम ।
थां गाडुं दीठा थकां । पग थाका अपरंम ।।

आज लजवंता पण मने लाज आवी छे, मारां केटलाय पापी कामनां कमोॅ छे , पण हे परमेस्वर , तारु गाडुं जोयाथी हवे मारा पगो थाकी गया छे .

पग साजे अपरमपर । जगविह आवि जोअे ।
लष चुरासी लांगडि । आवागमण न होअे ।।

जगत वच्चे आवी ने जोतां परमेस्वर नां चरणों रूप साधन वडे ओ लागींदास ! चौरासी लाख योनीओमां पुनः आवागमन थवानुं नथी रहेतुं .

नज चुमु फरिउ नही । भागल पगे भगत ।
देअल फरिआ भगत दस । अे अवगति वगति ।।

भक्त अेवो चुमोजी चारण के जेना पगों भागीं गया हता, ते पोते देवल नी दीशामां फयोॅ नहीं , पण देवल ज भगतनी दिशामां फयुॅ . आ पृभु नि पिछाण छे.

चुमु गोदड ईसर चवि । नरसी तंमरनाद ।
नामिं तरिआ नांमदे । पिृषत धृु पिृहलाद ।।

चुमो ,गोदडजी , इसरदास कहीअे, वळी तंबुरानो नाद गजवता नरसिंह महेता; परिक्षीत,धुृव , पृहलाद अने नामदेव जेवा भकतो पृभु नाम वडे तरी गया .

सरता दाता पाल सत। कडतल रूप करन ।
हर भगति वजपालहर । वरतावन षट वृन ।।

ओखा - हरण
लागींदास महेडु ( गोलासण)

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Saturday, 18 March 2017

कानदासजी मेहडु कृत हनुमान वंदना

*कानदासजी मेहडु कृत हनुमान वंदना*

सुरस्वती उजळ अती, वळि उजळी वाण।
करु प्रणाम जुगति कर, बाळाजती बखाण॥1॥

अंश रुद्र अगियारमो, समरथ पुत्र समीर।
नीर निधि पर तीर नट,कुदि गयो क्षण वीर॥ 2 ॥

खावण द्रोणाचळ खमै, समै न धारण शंक।
वाळण सुध सीता वळै, लिवि प्रजाळै लंक॥ 3 ॥

पंचवटी वन पालटी, सीत हरण शोधंत।
अपरम शंके धाहियो, हेत करै हडमंत॥ 4॥

                   *छंद त्रिभंगी ।*

मन हेत धरंगी, हरस उमंगी, प्रेम तुरंगी, परसंगी।
सुग्रीव सथंगी, प्रेम पथंगी, शाम शोरंगी, करसंगी।
दसकंध दुरंगी, झुंबै झंगी, भड राखस जड थड भंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 1 ॥

अवधेश उदासी, सीत हरासी, शोक धरासी, सन्यासी।
अणबखत अक्रासी, बोल बंधासी, लंक विळासी, सवळासी।
अंजनी रुद्राशी, कमर कसंसी, साहर त्रासी, तौरंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 2 ॥

करजोड कठाणं, पाव प्रमाणं, दधि प्रमाणं, भरडाणं।
भचकै रथ भाणं, धरा ध्रुजाणं, शेष समाणं साताणं।
गढलंक ग्रहाणं, एक उडाणं, पोच जवाणं, प्रेतंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 3 ॥

हलकार हतूरं, फौज फतूरं, सायर पूरं संपूरं।
कर रुप करुरं,वध वकरुरं, त्रहकै घोरं, रणतूरं।
जोधा सह जुरं, जुध्ध जलुरं, आगैवानं, ओपंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 4 ॥

आसो अलबेली, बाग बणेली, घटा घणेली, गहरेली।
चौकोर भरेली, फूल चमेली, लता सुगंधी, लहरेली।
अंजनि कर एली, सबै सहेली,होम हवेली, होमंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 5॥

नल नील तेडाया, गरव न माया सबै बुलाया, सब आया।
पाषाण मंगाया, पास पठाया, सब बंदर लारे लाया।
पर मारग पाया, राम रिझाया, हनुए धाया, हेतंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 6॥

लखणेश लडातं, सैन धडातं, मुरछा घातं, मधरातं।
साजा घडी सातं, वैद वदातं, प्राण छंडातं, परभातं।
जोधा सम जातं, जोर न मातं, ले हाथं बीडो लंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 7॥

हडमत हुंकारं, अनड अपारं, भुजबळ डारं, भभकारं।
कर रुप कराळं, विध विकराळं, द्रोण उठारं, निरधारं।
अमरं लीलारं, भार अढारं, लखण उगारं, दधि लंघी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥ 8 ॥

सिंदूर सखंडं, भळळ भखंडं, तेल प्रचंडं, अतडंडं।
किय हार हसंडं, अनड अखंडं, भारथ डंडं, भुडंडं।
चारण कुळ चंडं, वैरि विहंडं , प्रणवै कानड कवि पंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी ॥ 9॥

*Narpatdan Charan Kaviraj:*

*डिंगळ री डणकार से सादर त्रिभंगी छंद ।*

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Friday, 10 March 2017

चारण समाज ही नहीं सभी शक्ति उपासकों के लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय

चारण समाज ही नहीं सभी शक्ति उपासकों के लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय

चारण समाज ही नहीं सभी शक्ति उपासकों के लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषयरण समाज ही नहीं सभी शक्ति उपासकों के लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में वित्तीय वर्ष 2017-18 के  लिए घोषित बजट में चालकना में मातेश्वरी का पैनोरमा निर्माण कराये जाने की घोषणा की गई है।
   इस घोषणा के प्रैरणा स्रोत हमारे समाज के गौरव राजस्थान
धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण  के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह लखावत  है।
    इस पैनोरमा में मातेश्वरी का इतिहास ड्राविंग,पेंटिंग, आडियो,विडीयो,पुस्तकों आदि द्वारा भक्तों को सुलभ होगा।
   इस कार्य के लिए चारण समाज राजस्थान की यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे सिंधिया और ओंकार सिंह जी लखावत का आभारी है।
    हम सभी को निम्न संपर्क सूत्रों से कृतज्ञता अभिव्यक्त करनी चाहिए:-
​Cmo ro mail​
*​01412227656​*
*​cmrajasthan@nic.in​*
*vasundhararajeofficial@gmail.com​*

*✍भवरदान चारण  9913083073​*
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